भगत की पुत्रवधू उन्हें अकेले क्यों नहीं छोड़ना चाहती थी?
भगत के पुत्र की मौत से आहत पुत्रवधू अपना शेष जीवन भगत की सेवा सुश्रुषा करते हुए बिताना चाहती थी। वह भगत के बुढ़ापे का एकमात्र सहारा थी, इसीलिए वह भगत को अकेला छोड़ना नहीं चाहती थी। वह जानती थी कि बुढ़ापे में बीमार होने पर भगत को भोजन और दवा देने वाला कोई नहीं है। पुत्र की मृत्यु के बाद एक पिता पर क्या बीतती है, इस बात का अंदाजा था उसे और यह भी पता था कि उनके ससुर घर में अकेले कैसे रहेंगे ?
इन्ही सब उहापोह और जिम्मेदारियों के बीच भगत की पुत्रवधू उनका सहारा बनकर रहना चाहती थी।